लाल मिर्च खाने के ये नुकसान जानते हैं आप

Indian Health Status- Health Care in Hindi by Aayurved and Medicine in Hindi
पेरेंट्स के लिए बच्चों को इन डिवाइस के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है । इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने अधिक समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं ।
'बीबीसी हेल्थ'(BBC health) की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस हेमंड ने कहा कि हमें पता है कि आज के समय में बच्चों के बीच निकटदृष्टि दोष की समस्या आम बात हो गई है । उन्होंने कहा कि निकटदृष्टि दोष को रोकने का सही तरीका बाहर अधिक से अधिक समय बिताना है । इसमें दो घंटे बाहर बिताने से बच्चों में इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है । इसके साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना जरूरी है । इसके साथ ही उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए अच्छी होगी । विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है ।दूध की बोतल से बच्चों के दांत खराब हो सकते हैं। माताओं को हर फीड के बाद एक साफ कपड़े से शिशुओं के मसूड़े और दांत पोंछने चाहिए। अगर अनदेखा छोड़ दिया जाए तो टीथ इंफेक्श़न से हृदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं
हेल्दी और फिट रहने के लिए रोज वर्कआउट करना बहुत जरूरी होता है एक्सरसाइज के लिए कोई जिम जाता है तो कोई स्पोटर्स करता है तो कोई पार्क में दौड़ता है लेकिन हाल ही में आई रिसर्च में पता चला है कि ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि एक्सरसाइज करने से बहुत थकावट होती है और स्पोटर्स में उससे भी ज्यादा मेहनत लगती है
यूनिवर्सिटी आफॅ फ्रीबर्ग के रिर्सचर हेंड्रिक मोथ्स का कहना है कि ये लोगों पर डिपेंड करता है कि उनकी एक्सपेक्टेशन क्या है वे वर्कआउट के लिए क्या विकल्प चुन रहे हैं और उसे कितना समय दे रहे हैं। साथ ही वे किस सोच के साथ वर्कआउट शुरू कर रहे हैं
रिसर्च के दौरान, 18 से 32 उम्र के 78 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। स्टडी के दौरान उनको 30 मिनट तक साइक्लिंग करने के लिए कहा गया। वर्कआउट शुरू करवाने से पहले सबसे पूछ लिया गया कि वे कितनी देर तक वर्कआउट करने में सक्षम है। इतना ही नहीं, साइक्लिंग से पहले प्रतिभागियों को साइक्लिंग के हेल्थ बेनिफिट्स और उसके पॉजिटिव फैक्ट्स पर एक फिल्म भी दिखाई गई।
रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि जिन लोगों ने पॉजिटीव एटीट्यूट के साथ वर्कआउट करना शुरू किया वे कम तनाव में थे।क्या आप भी मैक्रोनी और चीज़ के दीवाने हैं? क्या आप अपने बच्चों को मैक्रोनी और चीज़ खिलाते हैं? अगर हां, तो सावधान। जी हां, हाल ही में आई रिसर्च के मुताबिक, ऐसा करके आप अपनी और बच्चों की सेहत को खतरे में डाल रहे हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि एक रिसर्च में ये बात सामने आई है।
न्यूरो एक्सपर्ट इस बात पर जोर देते हुए सलाह दे रहे हैं कि H1N1 का इलाज करने के दौरान डॉक्टर्स को ब्रेन में होने वाली सूजन या फिर अचानक पड़ने वाले दौरे के बारे में खासतौर पर सोचना चाहिए और साथ ही बच्चे को जरूरत पड़ने पर वेंटिलेशन और आई सी यू (ICU)में रखें।
इस सबंध में एबीपी न्यू्ज़ को न्यूरो सर्जन विकास भारद्वाज ने बताया कि इस समय H1N1 वायरस बच्चों के दिमाग को बहुत इफेक्ट कर रहा है इसका कारण बताते हुए डॉ। का कहना है कि एच1एन1 वायरस न्यूरोट्रॉपिक वायरस हैं जो कि बॉडी के न्यूरल स्ट्रक्चर जैसे :: नर्वस, ब्रेन उन पर अटैक कर उनसे बॉडी में एंटर करते हैं। इन्सेफेलाइटिस नामक ये वायरस बच्चों को सबसे ज्यादा इफेक्ट करता है क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम इतना स्ट्रांग नहीं होता कि वो किसी भी वायरस से अचानक लड़ पाए।
H1N1 सेंट्रल नर्वस सिस्टम का इंफेक्शन है जिससे ब्रेन के फंक्शंस डिस्टर्ब हो जाते हैं। इससे बच्चों में दौरे पड़ने लगते हैं। बच्चे की याददाश्त जा सकती है। इन्सेफेलाइटिस की वजह से बच्चे़ के ब्रेन में सूजन आ जाती है। बच्चों के हायर मेंटल फंक्शंस सबसे पहले प्रभावित होते हैं। इसके बाद बाकी बॉडी फंक्शंस पर धीरे-धीरे इफेक्ट होने लगता है। आई, ईयर, वीकनेस जैसी चीजें अधिक सूजन बढ़ने पर आती है। स्पीच पर भी फर्क आ सकता है। बेहोशी की हालत होने लगती है। कम बोलना शुरू होना आता है।
आपको बता दें, इस साल महाराष्ट्र में H1N1 तेजी से फैल रहा है और अब तक 300 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।आज के दौर में डाइटिंग करना बहुत से लोगों के लाइफस्टाइल का हिस्सा बनता जा रहा है. कोई अपनी डायट में ग्लूटन बैन करता है तो कोई शुगर. लेकिन क्या आप जानते हैं डाइटिंग करना सिर्फ कुछ ही समय के लिए लाभदायक होता है. रिसर्च में माना गया है कि डाइटिंग करके वजन घटाने वाले लोगों का वजन कुछ ही साल में उतना ही बढ़ जाता है जितना की वो घटाते हैं.
डायटिशियन एंडी बेलाटी और एक्सरसाइज साईंटिस्ट फिलिप स्टेनफोर्थ का कहना है कि डाइट में कोई भी परिवर्तन लाने से पहले सिर्फ एक रूल को फोलो करें जिसे आप अपनी पूरी जिंदगी भर के लिए लागू कर सकते है. जो कोई भी वजन घटाने के लिए एक हफ्ते का क्रैश डाइट करता है कुछ ही महीने बाद उसका वजन डबल हो जाता है. इसलिए डायटिशियन सुझाव देते है कि डायट में कोई भी परिवर्तन ला रहे हैं तो उसे कम से कम दो से चार साल तक जारी रखें. हेल्दी रहने के लिए डायट में बदलाव कर रहे हैं तो अपनी डायट में सब्जियां ज्यादा शामिल करें. कोशिश करें कि अधिक से अधिक वॉक करें. शुगर ड्रिंक्स, सोडा ड्रिंक्स एवॉइड करेंब्लड डोनेट(Blood Donate) तब होता है जब एक हेल्दी व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है और ट्रांसफ्यूजन के लिए उसका उपयोग होता है या फ्रैकशेनेशन नामक प्रक्रिया के जरिये दवा बनाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं ब्लड डोनेट(Blood Donate) करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। आज हम आपको बता रहे हैं रक्तदान से पहले किन चीजों का ध्यान रखें।
ब्लड डोनेट(Blood Donate) करने से पहले कुछ टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्ट के जरिए जाना जाता है कि ब्लड डोनर का ब्लड ग्रुप क्या है। डोनर (DONNER)को हिपेटाइटिस बी, सी वायरस( C VIRUS), एचआईवी (HIB), वीडीआरएल (BDRL), मलेरिया जैसी कोई गंभीर समस्या ना हो। इसके अलावा माइनर ब्लड ग्रुप और न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट भी किए जाते हैं।व्यक्ति का ब्लडप्रेशर, हीमोग्लोबिन, और वेट स्टेबल हो तभी उसे ब्लड डोनेट (Blood Donate)करने देना चाहिए।ब्लड डोनेट करने से पहले कुछ खा लें। इससे तकरीबन 24 घंटे पहले शराब या धूम्रपान का सेवन ना करें। खूब पानी पीएं। इससे आपके शरीर में रक्तदान के बाद पानी की कमी नहीं होगी। सोडा ड्रिंक ना लें।ब्लड डोनेशन(Blood Donate) के तुरंत बाद अधिक मेहनत वाला कोई काम न करें।
आजकल के लाइफस्टाइल में बैड कॉलेस्ट्रॉल बढ़ना आमबात है। बैड कॉलेस्ट्रॉल के बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट की मानें तो हाई कॉलेस्ट्रॉल ओवरऑल सेहत के लिए नुकसानदायक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ सुपरफूड्स के जरिए आप आसानी से कॉलेस्ट्रॉल कम कर सकते हैं।